‘जीवन में हो चारित्रिक शिक्षा‘
शिक्षा की उपेक्षा को लगभग एक शताब्दी होना खेदपूर्ण है। हम सभी विवशता में यथास्थिति
शिक्षा की उपेक्षा को लगभग एक शताब्दी होना खेदपूर्ण है। हम सभी विवशता में यथास्थिति
देश के निर्माण के लिए वर्तमान को चारित्रिक जीवन की सीख देने की सबसे अधिक
शिक्षा धनोपार्जन और बाजारीकरण के बिना हर नये जीवन में शिक्षा को बोना जरूरी है।